यो समाजको भरै छैन के पो हो साथी..?
गर्छ पाप डरै छैन के पो हो साथी..?

सोझालाई पो कानुनले अँठ्याएर नेल्छ...
बाङ्गोलाइ त करै छैन के पो हो साथी..?

बिभेदले जता पनि थेग्नै गारो भो...
समानताको थरै छैन के पो हो साथी..?

पानी मागेँ दुधै पाई धर्म ठान्दथे...
धर्म वरपरै छैन के पो हो साथी..?

शितल जल सिंचे बोटमा फल फल्ने हो...
यस्तो कुनै जरै छैन के पो हो साथी..?

"गजल प्रेमी"